+ -

Pages

Thursday, July 3, 2014

एक सवेरा था

एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम,
और आज कई बार बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती...!!!
5 शायरी और मैं...: एक सवेरा था एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम, और आज कई बार बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती...!!!

1 comment:

<